Thursday 14 June 2012

बेटा आ बेटी



अईला ना काहे तू
छोड़ल पीहर में|
नेहवा के बंधन तोड़ल
छोड़ल बीहर में|

 

भयीनी कुलच्छनी हम
बेटा जो न जननी|
ससुरा से खेदयिनी हम
रौउवो तो न मननी|

 

तीन गो बेटी जो भईल
हमार कौन दोष रहल?
सेंदुर के भी झूठा कईनी
ऐसन कौन छोंछ रहल?


बेटा खातिर मोह छोड़वनी
बिसरल कैसे प्रीत के रतिया?
बेटी संग मेहरारू भुलैनी
बेटा में कैसन,अईसन बतिया?

स्वाति वल्लभा राज

5 comments:

  1. बेटा खातिर मोह छोड़वनी
    बिसरल कैसे प्रीत के रतिया?
    बेटी संग मेहरारू भुलैनी
    बेटा में कैसन,अईसन बतिया?






    बहुत खुबसूरत प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  2. तीन गो बेटी जो भईल
    हमार कौन दोष रहल?
    सेंदुर के भी झूठा कईनी
    ऐसन कौन छोंछ रहल?

    नारी की पीड़ा दर्शाती मार्मिक प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  3. स्वाति जी, निस्संदेह भोजपुरी में एतना नीमन कविता लिख पायिल काबिल-ए-तारीफ़ बा. बाकिर ई विषय त अईसन बा कि हमनी के एकरा पर विवरणात्मकता से ज्यादा निवारणात्मकता पर ध्यान देवे के चाही.
    बहुत्ते शुभकामना,
    सादर

    ReplyDelete
  4. एकदम मन के छू गइल इ कविता . बहुते संवेदनशील . ऐसेही लिखत रही रउरा .

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया रचना बा और मुद्दा भी सार्थक बा समाज पर टिपण्णी के

    ReplyDelete