घटवा पे डूबी उगल बढल जाला,
पनिया में जहर माहुर बितुरल जाला |
सुनी न लोगी
छठी के दिन आइल
घटवा के दुबिया गढ़ी
पनिया के साफ़ करिल |
खरना के दिनवा निजका आवल जाला
अरगा के बेरा हाली निजकल जाला|
फल दौरा सुपलिया
ईंखवा के साजल जाइल
चंदनी से कोसी
सुन्दर ढाकल जाईल |
मनवा में हरषी हरषी भूखल जाला
आदित के भोरे सांझी अरगी जाला|
सुनी ना, सूरज देव
जल्दी जल्दी उग गईल
छठी के परव पावन
खूब सुन्दर भईल|
स्वाति वल्लभा राज