घटवा पे डूबी उगल बढल जाला,
पनिया में जहर माहुर बितुरल जाला |
सुनी न लोगी
छठी के दिन आइल
घटवा के दुबिया गढ़ी
पनिया के साफ़ करिल |
खरना के दिनवा निजका आवल जाला
अरगा के बेरा हाली निजकल जाला|
फल दौरा सुपलिया
ईंखवा के साजल जाइल
चंदनी से कोसी
सुन्दर ढाकल जाईल |
मनवा में हरषी हरषी भूखल जाला
आदित के भोरे सांझी अरगी जाला|
सुनी ना, सूरज देव
जल्दी जल्दी उग गईल
छठी के परव पावन
खूब सुन्दर भईल|
स्वाति वल्लभा राज
BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI ...... मनवा में हरषी हरषी भूखल जाला
ReplyDeleteआदित के भोरे सांझी अरगी जाला|
सुनी ना, सूरज देव
जल्दी जल्दी उग गईल
छठी के परव पावन
खूब सुन्दर भईल|
manva ke mohi lihles,tohari e batiya
ReplyDeleteधन्यवाद मधुजी ...:)
Deleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteआदरेषु
ReplyDeleteशुभ संध्या
आपकी ये रचना 26 अक्टूबर को प्रकाशित होगी
आप सादर आमंत्रित हैं
वंदन
26 अक्टूबर 2025 को
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