Thursday 14 June 2012

बेटा आ बेटी



अईला ना काहे तू
छोड़ल पीहर में|
नेहवा के बंधन तोड़ल
छोड़ल बीहर में|

 

भयीनी कुलच्छनी हम
बेटा जो न जननी|
ससुरा से खेदयिनी हम
रौउवो तो न मननी|

 

तीन गो बेटी जो भईल
हमार कौन दोष रहल?
सेंदुर के भी झूठा कईनी
ऐसन कौन छोंछ रहल?


बेटा खातिर मोह छोड़वनी
बिसरल कैसे प्रीत के रतिया?
बेटी संग मेहरारू भुलैनी
बेटा में कैसन,अईसन बतिया?

स्वाति वल्लभा राज